सूक्ष्म चूर्ण के रूप में इसी को ‘सीमेंट ' कहते हैं।
2.
(1) सूक्ष्म चूर्ण अचरॊल (सर्पगंधा) का, दो माशे भर खाय।
3.
षिक और हरड़ का अथवा स्वर्ण और आंवले का सूक्ष्म चूर्ण करके मधु और घृत के साथ चटावें ।
4.
नवायस चूर्ण (च.) सौंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल हरड़, बहेड़ा, आंवला, मोथा, बायबिडंग और चित्रकमूल-~ त्वक् समभाग लें, सूक्ष्म चूर्ण बना वस्त्रपूत कर लें.
5.
प्रथम पारद तथा गन्धक की कज्जलीकर, उसमें हरताल मिलाकर खरल करें कि उस के सूक्ष्म कण भी न दीखें, फिर अन्यद्रव्यों का सूक्ष्म चूर्ण वस्त्रपूत कर मिला दें.
6.
शुद्ध शिलाजीत ५० ग्राम + सर्पगंधा १०० ग्राम लीजिये व इन सबका अत्यंत सूक्ष्म चूर्ण बना लीजिये तथा सुबह शाम इस मिश्रण में से आधा छोटा चम्मच दिन में दो बार सारस्वतारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये।
7.
ताजी सूक्ष्म चूर्ण की हुई औषधि कैसे तुरन्त असर दिखाती है यह घरेलू चिकित्सा करने वाली घर की महिलाएँ जानती हैं, जिन्होंने किसी मेडीकल कॉलेज में नहीं, अपने ही बुजुर्गों से यह शिक्षण पाया है ।
8.
कज्जली-पारद (पारा) को गन्धक के साथ या पहले पारद के सुवर्णादि धातुओं का सूक्ष्म चूर्ण या अर्क मिलाकर बाद में गंधक के साथ खरल में पीसने पर काजल जैसा काला बन जाने वाले पदार्थ को कज्जली कहते हैं।
9.
आप निम्न आयुर्वेदिक उपचार लीजिये जिससे आपके दिल और दिमाग दोनो को पुष्टि मिलेगी-१. सर्पगन्धामूल का सूक्ष्म चूर्ण ६ ० ग्राम + खरल करा हुआ रससिंदूर २ ४ ग्राम + प्रवाल पिष्टी ४ ० ग्राम + अकीक पिष्टी ४ ० ग्राम इन सभी द्रव्यों को एक साथ कस कर खरल करवा लीजिये।
10.
आप निम्न उपचार लीजिये-मुक्तापिष्टी + जहरमोहरा पिष्टी + अकीक पिष्टी + जटामाँसी + आँवला + अश्वगंधा प्रत्येक २ ० ग्राम + शुद्ध शिलाजीत ५ ० ग्राम + सर्पगंधा १ ०० ग्राम लीजिये व इन सबका अत्यंत सूक्ष्म चूर्ण बना लीजिये तथा सुबह शाम इस मिश्रण में से आधा छोटा चम्मच दिन में दो बार सारस्वतारिष्ट के दो चम्मच के साथ लीजिये।